राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

नेताजी सुभाषचंद्र बोस राजकीय महिला पी जी कालेज में आज राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।कवि सम्मेलन का शुभारम्भ प्राचार्य और संरक्षक प्रोफेसर अनुराधा तिवारी ने करते हुये कहा कि करोना संकट के कारण लोगों के मन में कहीं न कही दबाव है और निराशा व्याप्त हो रही है ऐसे में इस तरह के आयोजन से नई ऊर्जा का संचार होता है।उन्होंने कहा कि कविताओं से विषादों और जीवन की विषंगतीयों को दूर किया जा सकता है।उन्होंने अपनी रचना”स्वर्णमई जीवन धारा तुम जीवन तम पर छा जाना” का सस्वर पाठ किया।कवि सम्मेलन का विधिवत प्रारम्भ हरदोई की प्रसिद्ध गीतकार सोनी मिश्रा की सरस्वती वन्दना से हुआ।उन्होंनेकहा”तार वीणा के हे माँ बजा दीजिये आज की शाम को जगमगा दीजिये”। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता  तथा संचालन देश के वरिष्ठ कवि साहित्यक़ार तथा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सदस्य श्री कमलेश मौर्य मृदु ने किया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचनाओं का पाठ किया  ख़ासकर “राम व बाबर की तुलना गुड़ गोबर की तुलना करना है” का पठ्कर खूब वाहवाही बटोरी।उन्होंने अपने विनोदपूर्ण और सधे संचालन से और आशु कविताओं से अंत तक श्रोताओं से बाँधे रखा।नवोदित कवियत्री ख़ुशबू मिश्रा ने दार्शनिक अन्दाज़ में कहा”मेघ कब तक जल कणो को बाँध खुद में रख सकायह मनुज भी काल के बांधे कभी न बंध सका” कवियत्री सोनी मिश्रा ने शृंगार से ओतप्रोत कविता”तुम्हारे दिल का जब भी प्यार बदल जाता है हमारे प्यार का संसार बदल जाता है”पढ़कर श्रोताओं का मन मोह लिया।इसके अलावा उनकी रचना”मैं कोयल जैसी चहकूँ मैं मैना जैसी बोलूँ तू फ़ूल मेरा बन जाये मैं तितली जैसा डोलूँ” को प्रशंसा मिली। बाराबंकी के हास्य कवि संदीप अनुरागी ने अपनी हास्य क्षणिकाओं से लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी।उन्होंने पढ़ा “घातक बहुत करोना चीन का शैतान करोना”।
ओज के प्रसिद्ध हस्ताक्षर तथा राष्ट्रीय कवि संगम लखनऊ के अध्यक्ष अशोक अग्निपथी ने वीर रस की रचनाओं से जोश भर दिया।उनकी रचना “बेटियों को झाँसी वाली रानी सा बनाइये” तथा देश के दुश्मनों को ललकारती रचना”बंशी जो बजाते हैं वो चक्र भी चलाते हैं” को भरपूर तालियाँ और प्यार मिला।
शृंगार के वरेण्य कवि तथा लोकप्रिय गीतकार डाक्टर राघवेंद्र मिश्र प्रणय ने अपनी सुमधुर आवाज़ से शमा बाँध दिया। बेटियों पर उनकी रचना”सागर से मिलने की ख़ातिर नदियाँ होना पड़ता हैं जग महकाना हो तो बगिया होना पड़ता है बेटा बनकर शायद माँ के आँसू न दीखें माँ के आँसू पढ़ना हो तो बिटिया होना पड़ता है।”देश के प्रसिद्ध हास्य कवि और कई राष्ट्रीय चैनलों पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा चुके डाक्टर कमलेश द्विवेदी ने अपने प्रसिद्ध आल्हा का पाठ किया साथ ही चर्चित रचना “ मैंने कहा सलाम चच्चा चच्चा बोले राम राम बच्चा”पढ़कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
कवि सम्मेलन के आयोजक सचिव और कवि डाक्टर भास्कर शर्मा ने वास्तविक सुंदरता और जीवन की सच्चाई पर आधारित अपनी मशहूर कविता”ये जो गाल गुलाबी हैं ढल जाएँगे” पढ़कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
कवि सम्मेलन का सधा और प्रभावी  संयोजन डाक्टर रश्मि बिश्नोई ने किया।उन्होंने बताया कि कवि सम्मेलन मे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों से लोग मौजूद रहे उन्होंने सबका आभार व्यक्त किया।कवि सम्मेलन की सार्थकता और प्रासंगिकता पर समन्वयक डाक्टर जय प्रकाश वर्मा ने प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथी के रूप में इगनु की क्षेत्रीय निदेशक डाक्टर मनोरमा सिंह प्राचार्य गण प्रोफेसर मंजु दीक्षित प्रोफेसर भारती सिंह और प्रोफेसर सुस्मिता चंद्रा पूरे समय मौजूद रहकर सबका उत्साह वर्धन किया।

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