जूम ऐप के माध्यम से नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला पीजी कॉलेज अंग्रेजी विभाग का वेबिनार संपन्न



कोविड19 का समाज पर प्रभाव और उससे निबटने की रणनीति पर एक अत्यंत प्रभावोत्पादक और सार्थक गोष्ठी का आनलाइन आयोजन नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला पी जी कालेज के अंग्रेज़ी विभाग द्वारा किया गया।ज़ूम माध्यम से अयोजित इस वेबिनार में आइ आइ टी(बी एच तू)के मानविकी विभाग के प्रोफेसर के वी सिबिल मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे जबकि जे वी कालेज बागपत के अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष डाक्टर राम शर्मा तथा जानी मानी मनोचिकित्सक तथा अम्बेडकर विवि के मनोचिकित्सा विभाग में कार्यरत डाक्टर नेहा आनन्द विशेष वक्ता के रूप में कोविड के बारे में विस्तार से बताया।गोष्ठी की खास बात यह रही कि सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि इस वायरस का समाधान भारतीय जीवन पद्धति को अपना ही निकाला जा सकता है। प्राचीन काल से भारतीय समाज में योग प्राणायाम तथा आयुर्वेद को अपनाया गया है आज सारा संसार इसे न केवल मान रहा है  बल्कि अपना भी रहा है। चर्चा की शुरुआत करते हुए डाक्टर राम शर्मा ने भारतीय जीवन मूल्यों को जीवन का मूलमंत्र बताया । उन्होंने को कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिना तथा वसुधैव कुटुंबकम् का भाव ही हमें महामारी से लड़ने की प्रेरणा देता है। डाक्टर राम ने साफ कहा कि वैक्सीन का इंतज़ार न करके अपनी इम्यूनिटी बढ़ाना चाहिए। उन्होंने आत्म निर्भर भारत की वकालत की। डाक्टर शर्मा ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हमने कुदरत से बहुत छेड़छाड़ की है उसका खामियाजा तो भुगतना ही था अभी भी समय है हम प्रकृति की शरण में चले। समय समय पर कुदरत ने नेपा जीका इबोला एच आई वी वाइरस के द्वारा चेतावनी भी दी लेकिन हम सोते रहे। प्रोफेसर सिबिल ने कोविड से उत्पन्न चुनौतियों पर अपने उद्बोधन में कहा कि गरीबों और अल्पविकसित तथा विकास शील देशों पर इसका अधिक दुष्प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य क्या होगा इससे ज्यादा लोग ये सोच रहे कि वाइरस का क्या भविष्य होगा। इस वायरस ने हमारे अस्तित्व को चुनौती दी है। समाज को व्याख्यायित करते हुए डाक्टर सिबिल ने कहा कि इसे तीन खंडों में बांटकर समझा जा सकता है एक सरकार को चलाना दो अर्थ व्यवस्था को देखना तथा तीसरा  जनसंख्या पर नियंत्रण करना। कोविड़ से ये तीनों प्रभावित हुए है। आने वाले समय पर सरकार को स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि श्रमिक समाज की रीढ़ है उनके लिए योजनाएं बनानी होंगी। इम्यूनिटी बढ़ाने की बात से सहमत होते हुए उन्होंने कहा कि एक सामान्य अवधारणा है कि लोग टेस्टिंग से बचना चाहते है जो समाज के लिए ठीक नहीं है।
डाक्टर नेहा आनंद ने कहा की ऐसे समय मं नकारात्मक भाव मन में आते है कुछ नकारात्मकता स्वास्थ्यकर होती है जबकि कुछ अस्वास्थ्यकर। नकारात्मकता का प्रकटीकरण होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि करोना संबंधी ज्यादा न्यूज न सुने ये कोई मैच नहीं है जिसका स्कोर जानना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मन में सकारात्मक भाव रखें उद्देश्य पूर्ण जीवन जिएं तथा जो हो रहा है उसे स्वीकार करना सीखे तथा परिस्थितियों से तालमेल बिठाए।
वेबिनार की समन्वयक डाक्टर शालिनी श्रीवास्तव ने वक्ताओं का परिचय दिया तथा गोष्ठी का सफतापूर्वक संचालन किया। आयोजन सचिव डाक्टर जय प्रकाश वर्मा ने कार्यक्रम कि शानदार रूपरेखा प्रस्तुत की पैनल सदस्य के रूप में डाक्टर भास्कर शर्मा मौजूद रहे।
प्राचार्य प्रोफेसर अनुराधा तिवारी ने सभी वक्ताओं के उद्बोधन को सारगर्भित बताते हुए कहा कि आज भारतीयता और आत्म निर्भरता दोनों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर महाविद्यालय तथा देश के अन्य हिस्सों के शिक्षक शोधार्थी शिक्षाविद् बड़ी संख्या में मौजूद रहे लगभग तीन घंटे चली इस गोष्ठी में अंत में वक्ताओं ने लोगों के प्रश्नों का समुचित उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा शांत किया। डाक्टर शालिनी श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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